गरीबी और बेरोजगारी

जैसे-जैसे आज हमारे देश हर पद्धति में आगे बढ़ रहा है हर तरीके से हमारे देश में विकास हो रहा है ठीक उसी प्रकार गरीब और अधिक गरीब होता जा रहा है ऐसी बहुत सी कड़ी है जो हमारे देश की गरीबी को घटा नहीं पा रही है बल्कि धीरे-धीरे हमारे देश के गरीबों की संख्या और अधिक बढ़ती जा रही है गरीबी और बेरोजगारी एक दूसरे से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं बेरोजगारी से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति खराब होती है जिससे गरीबी आती है जबकि गरीबों के कारण शिक्षा व कौशल का अभाव भी होता है जो दोबारा गरीबी बेरोजगारी पैदा करता है इस प्रकार यह दश चक्र है बेरोजगारी का मुख्य कारण शिक्षा की कमी आर्थिक समानता तेजी से बढ़ती जनसंख्या और कृषि पर भारी निर्भरता शामिल है इन समस्याओं को हल करने के लिए शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देना लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करना सूक्ष्म वित्त जैसे उपायों को अपनाना और बेहतर कानून वह प्रशासन व्यवस्थित स्थापित करना बहुत आवश्यक है जैसे-जैसे लोग बेरोजगार होते हैं ठीक उसी प्रकार उनके पास आए का स्रोत काम हो जाता है इसी कारण गरीबी आती है गरीबों के कारण लोग शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए ठीक तरीके से पोषण नहीं ले पाते जिसके चलते वह बीमार भी हो जाते हैं और उनकी मानसिकता भी बिगड़ जाती है कई बार बहुत से लोग गरीबों के कारण आत्महत्या भी कर लेते हैं तेजी से बढ़ती जनसंख्या बेरोजगारी का एक मुख्य स्रोत है जिसके कारण आज हमारे देश में बहुत अधिक बेरोजगार है क्योंकि हमारे देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है वर्तमान शिक्षा प्रणाली कई बार छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करने में विफल रहती है

बेरोजगारी और गरीबी से समाधान के कुछ तरीके

शिक्षा और कौशल विकास के द्वारा लोगों को बेहतर शिक्षा और व्यावसायिक कौशल प्रदान करना ताकि वे नौकरी के अवसरों का लाभ उठा सके और बेरोजगारी से लड़ सके लघु और कुटीर उद्योगों की स्थापना से लोगों को रोजगार मिलता है और गरीबी कम होती है हमें ऐसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए जो अधिक रोजगारी पैदा करते हैं और अर्थव्यवस्था के विकास को गति देते हैं गरीबी और बेरोजगारी का उच्च स्तर देश के विकास में बड़ी बढ़ाएं लाता है इन समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या कम करने का फैसला किया है

बेरोजगारी एक आर्थिक समस्या भी है और सामाजिक समस्या भी यह दोनों ही रूपों में इसके परिणाम बहुत गंभीर और घातक साबित होते हैं भारत की पूर्व जनसंख्या वृद्धि में सीमित संसाधनों पर भारी दबाव डालते हुए कहा है जिससे प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है और रोजगार के अवसरों की मांग बढ़ जाती है वह बेरोजगारी है कई बार बेरोजगारी का कारण आपदाएं भी होतीहैं आपदा के कारण होने वाले भारी नुकसान से कई बार बेरोजगारी आती है बसा बसाया कार्य नष्ट हो जाता है जिससे गरीबों को बहुत गहरा प्रभाव होता है किसानों को बहुत अधिक कठिनाई होती है हमारे देश में बढ़ती आपदाएं ज्यादातर बेरोजगारी का कारण बनी हुई है यदि हम इन आपदाओं को रोकने में समर्थ रहे तो हम इस देश की ज्यादा से ज्यादा बेरोजगारी को खत्म कर सकते हैं यदि बेरोजगारी खत्म हुई तो गरीबी स्वयं ही खत्म हो जाएगी बेरोजगारी के चलते हमारे देश के लोग दोहरी मानसिकता का भी शिकार बन जाते हैं हमारे देश में पहले भ्रष्टाचार के कारण भी कई बार गरीबों को बहुत ही ज्यादा नुकसान होता है जिससे बेरोजगारी और गरीबी बढ़ती है शासन में भ्रष्टाचार विशेष रूप से गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों और सरकारी नौकरियों में संसाधनों के गलत उपयोग और आयोग व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के कारण गरीबी और बेरोजगारी को बढ़ावा दिया है भारत की ज्यादातर आबादी अभी भी कृषि पर निर्भर करती है लेकिन कम उत्पादक पारंपरिक तरीकों और भूमि की कमी के कारण यह क्षेत्र पर्याप्त आए नहीं दे पाता हमारे राष्ट्र में दिसंबर 2021 की तुलना में मैं 2022 में शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 10.3% से घटकर 8.7% हो जाएगी गरीबों के कारण लोग पर्याप्त पोषण नहीं ले पाते हैं जिससे वह कुपोषण के शिकार हो जाते हैं और ज्यादातर बीमार हो जाते हैं बेरोजगारी को रोकने के लिए हम कुछ उपाय कर सकते हैं जैसे कौशल विकास उद्यमिता को बढ़ावा देना श्रम प्रधान उद्योगों में निवेश और बुनियादी ढांचे का विकास जैसे उपाय अपनाए जा सकते हैं शिक्षा उद्योगों के बीच समन्वय तथा ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भी विधि कारण और संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है आज प्रधानमंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना और प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना जैसी योजनाओं का लाभ अधिक लोगों तक पहुंचाते हैं भारत देश में ज्यादातर छुपी बेरोजगारी मौसमी बेरोजगारी संरचनात्मक बेरोजगारी शिक्षित बेरोजगारी और अल्प रोजगार बेरोजगारी जैसी बेरोजगारी पाई जाती है
छुपी बेरोजगारी के तहत जहां किसी काम में जितने लोगों की जरूरत होती है उससे कहीं ज्यादा लोग होते हैं लेकिन वह वास्तव में कुछ काम नहीं कर पाए यह कृषि क्षेत्र में आम है जहां कम उत्पादन के बावजूद अधिक लोग काम कर लेते हैं

मौसमी बेरोजगारी

मौसमी बेरोजगारी वह होती है जब मौसम के साथ ही कुछ काम होते हैं और बाकी समय उन्हें काम नहीं मिलता तो उसे मौसमी बेरोजगारी कहते हैं जैसे कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में है समस्या अधिक देखने को मिलती है

संरचनात्मक बेरोजगारी

यह बेरोजगारी संरचना के बदलाव के कारण उत्पन्न होती है उदाहरण के लिए जब कोई श्रम सगन अर्थव्यवस्था पूंजी सगन अर्थव्यवस्था में बदल जाती है तो नई तकनीक और वीडियो को अपने में असमर्थ लोग बेरोजगार हो जाते हैं

शिक्षित बेरोजगारी

शिक्षित बेरोजगारी जब शिक्षा के मुताबिक लोगों को सही योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती तो उसे शिक्षित बेरोजगारी कहते हैं या हमारे भारत देश में सामान्य है

अल्प बेरोजगारी

अल्प बेरोजगारी में व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं मिलती या उसके अनुसार काम आए पर नौकरी मिलती है तब अल्प बेरोजगारी कहलाती है

बेरोजगारी हमारे देश का एक ऐसा मुद्दा है जिसे हम जितना उठाते हैं वह उतना ही उभर कर आता है क्योंकि जैसे-जैसे आज हमारे देश की उपलब्धियां बढ़ रही हैं वैज्ञानिक आगे बढ़ रहे हैं हमारे देश में बहुत सी फैक्ट्रियां खुल रही हैं बहुत सी कंपनियां खुल रही है ठीक उसी तरह हमारे देश की बेरोजगारी और गरीबी भी बढ़ रही है देश में चलते बहुत से ऐसे कार्य है जिससे हमारे वनस्पति जीव को नुकसान होता है उसे आने वाले भूकंप या आपदाओं से जो नुकसान हमारे देश को होता है उसे बेरोजगारी और गरीबी में बहुत अधिक प्रभाव होता है जिसके लिए कहे तो गरीब और गरीब वह अमीर और अमीर बनता जा रहा है

 

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