मौर्य भारत के एक प्रमुख साम्राज्य थे जिम मौर्य काल सिकंदर महान के प्रभाव के बाद उत्पन्न हुआ मौर्य काल 321 से 185 ईसा पूर्व और गुप्त काल लगभग 320 से 550 ईसा पूर्व तक रहा जबकि गुप्त काल को स्वर्ण युग कहा जाता है मौर्य काल में चंद्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की जिसे प्रशासन केंद्रीकृत था और शासन की मुख्य शक्ति राजशाही थी चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को उखाड़ फेंक कर 322 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की जिसका विस्तार तेजी से पश्चिम और उत्तर पश्चिम भारत तक हुआ चंद्रगुप्त मौर्य ने कहीं छोटे-छोटे क्षेत्रीय राज्यों को आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकंदर के आक्रमण के बाद पैदा हो गए थे 316 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरी उत्तर पश्चिम भारत पर अधिकार कर लिया था मौर्य वंश की सबसे बड़ी विशेषता इसका केंद्रीकरण प्रशासन था यह सब के साथ एक तरह का व्यवहार करता था मौर्य शासको ने गैर हिंदू धर्म विशेष रूप से बौद्ध धर्म का समर्थन और प्रचार किया था इस कल की कला का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण सारनाथ का सिंह शीर्ष है जो आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है कौटिल्य जी के अर्थशास्त्र में हमें मौर्य साम्राज्य की शासन प्रणाली की जानकारी मिलती है इसके अतिरिक्तअशोक के राजा देश दूसरा महत्वपूर्ण स्रोत है जो मौर्य सम्राटों द्वारा निर्मित केंद्रीकृत प्रशासन प्रणाली पर प्रकाश डालता है सम्राट अशोक ने मौर्य साम्राज्य की न्याय व्यवस्था व्यापक सुधार किया राजा के पास सर्वोच्च कानूनी अधिकार था साठी उपयोग और संता को निकालने की क्षमता और अधिकार भी था इसके अलावा सम्राट वास्तव में मौर्य साम्राज्य का सेनापति और सैन्य सरकार का शासक भी था सेवा की एक शाखा है मौर्य साम्राज्य की समय रेखा में मौर्य राजवंश के शासको के शासन अशोक के उत्थान और अनंत पाटन सहित महत्वपूर्ण घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है मौर्य काल में भारत के सिक्कों का निर्माण हुआ मोरिया कल को सिक्का निर्माण कल भी कहा जाता है अर्थात सिक्कों का निर्माण इसी कल से शुरू हुआ इस काल में सिक्के बनाने के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया जैसे चित्रण तकनीक मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारत में राजनीतिक विखंडन का समय था जिसमें सॉन्ग कनव और सातवाहन जैसे भारतीय राजवंशों ने पूर्वी और मध्य भारत पर शासन किया इसी दौरान उत्तर पश्चिम से इंडो यूनानी शक पहले और कुशन जैसे विभिन्न विदेशी राजवंशों ने भारत पर आक्रमण किया और शासन किया यह कल मध्य एशिया और भारत के बीच राजनीतिक संपर्क को के लिए भी महत्वपूर्ण थामध्य एशिया और भारत के बीच संपर्क विभिन्न अवधियों के दौरान जारी रहा जिसमें कुषाण साम्राज्य और मंगोल आक्रमण शामिल है इसमें क्षेत्र को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से और एकीकृत किया भारत के साथ मध्य एशिया संपर्क दोनों क्षेत्रों के ऐतिहासिक सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण है यह आदान-प्रदान छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही शुरू हो गए थे जब सिल्क रोड जैसे व्यापार मार्गों के माल विचारों और लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाया गया था सिकंदर महान के उत्तराधिकारियों से उत्पन्न इंडो यूनानियों ने दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी तक उत्तर पश्चिम भारत पर शासन किया जिसे स्थानीय संस्कृति और व्यापार पर एक स्थाई प्रभाव डाला मध्य एशिया से उभरे किसानों ने पहले से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक एक विशाल साम्राज्य पर नियंत्रण किया और बौद्ध धर्म और ट्रांस एशिया व्यापार से प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई भारत से आए पर्ची उन्होंने पहली शताब्दी ईसा के दौरान उत्तर पश्चिमी भारत में अपना प्रभाव बढ़ाया इससे इस क्षेत्र के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में इजाफा हुआ मौर्य कल हमारे इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है चंद्रगुप्त मौर्य चाणक्य बिंदुसार तथा सम्राट अशोक आदि जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति इसी काल में जन्मे इस काल में केंद्रीय शासन का प्रचलन था और राजा को देवी अधिकार प्राप्त हुआ करते थे मौर्य काल में मुख्य रूप से पत्थर का उपयोग शानदार पॉलिश और भारतीय कला में लकड़ी के स्थान पर पत्थर के उपयोग का परिवर्तन देखा जाता है यह एक सही कल थी जो मौर्य शासक को खासकर सम्राट अशोक के संरक्षण में विकसित हुई इसके प्रमुख उदाहरण में अशोक स्तंभ स्तूप और बराबर गुफाएं शामिल है जो आज भी इसकी भव्यता दर्शाते हैं कल में यथारवाद प्राकृतिक रूपांकरों पर जोर और ग्रीक फारसी कल पर प्रभाव दिखाई देता है इस काल मेंलकड़ी से हटकर पत्थर के उपयोग की ओर एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुमौर्य काल में सारनाथ में स्थित सिंह प्रधान मूर्ति जो आज भारत के राष्ट्रपति के रूप में ली गई है व्हाट्सएप प्रधान मूर्ति और अन्य स्तंभ इसी कल की मूर्ति कला के श्रेष्ठ उदाहरण है गाय के पास बराबर पहाड़ियों में चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएं जिम सुदामा गुफा भी शामिल है मौर्य काल की पाषाण शिल्प कला को दर्शाती है कौशांबी और पाटलिपुत्र जैसे स्थानों से मिले चमकदार और ऑब्दार मिट्टी के बर्तन भी मौर्य काल की कलाकृतियों का ही एक हिस्सा है मौर्य काल में बहुत सी ऐतिहासिक वस्तुओं का निर्माण हुआ है जो आज हमारे देश के लिए बहुत ही गौरव अन्विता है मौर्य काल का सबसे महत्वपूर्ण चिन्ह अशोक के एक आश्रम स्तंभ ही है इनकी संख्या लगभग 20 है और यह चुनार बनारस के निकट के बलुआ पत्थर से बने हुए हैं लाट की ऊंचाई 40 से 50 फीट हैआ जिसमें बलुआ पत्थर के बने पुलिसएदार खंबे और मूर्तियां प्रमुख हैमौर्य काल की मुख्य व्यवसाय कृषि था और उन्होंने जलासियों और नेहरू जैसी अत्यंत परिष्कृति सिंचाई पद्धति का पालन किया मौर्य काल के एक ग्रंथ में कहा गया है कि सरकार सिंचित भूमि के लिए किसानों पर कर लगती थी धान की खेती व्यापक थी जिसके लिए पर्याप्त श्रम आवश्यक होती हैमौर्य काल में तीन मुख्य धर्म हुआ करते थे हिंदू धर्म जैन धर्म और बौद्ध धर्म सम्राट अशोक को पूरे साम्राज्य में बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए ही जाना जाता था मौर्य काल महिलाओं के एक विशिष्ट वर्ग को संवेदित करता था रूप जीव वे महिलाएं थी जो अपनी आजीविका स्वतंत्र रूप से कम आती थी अक्सर अपने कौशल सौंदर्य या कलात्मक प्रतिभा के माध्यम से हुए पेशावर महिलाएं थी जो अक्सर मनोरंजन संकेत नृत्य और संगीत से जुड़ी हुई होती थी