मुगल वंश की स्थापना
मुगल वंश की स्थापना बाबर द्वारा 1526-1530 मैं की गई थी जो एक मध्य एशिया शासक था मुगल वंश तुर्क मंगोल का एक मुस्लिम वंश था जिसने 16वीं शताब्दी के आरंभ से 18वीं शताब्दी के बीच तक भारत के अधिक से अधिक हसन पर शासन किया और 19 वीं शताब्दी के बीच तक आता रहा है इसके प्रमुख शासको में हुमायूं अकबर, जहांगीर, औरंगजेब , और शाहजहां भी शामिल थे इस वंश ने भारतीय संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला और भारत को एक संयुक्त राज्य में बांधने का प्रयास किया मध्य एशिया शासक बाबर ने 1526 में पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल वंश की नींव रखी थी मुगल साम्राज्य (फारसी) एक दक्षिण एशिया की इस्लामी तुर्की मंगोल साम्राज्य था ज्यादातर भारतीय उपमहाद्वीप पर मुगल साम्राज्य के अंत के लिए नादिर शाह के आक्रमण के बाद में मुसलसल मराठी आक्रमण जिम्मेदार रहे थे मुगलों ने 1700 के आसपास अपनी शक्ति की ऊंचाई पर भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बांग्लादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर में दक्षिण में कावेरी घाटी तक था उसे वक्त 44 लाख किलोमीटर (15 लाख मिल) के क्षेत्र पर पहले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 13 और 15 करोड़ के बीच लगाया गया था 1725 के बाद इसकी ताकत में तेजी से गिरावट आई उत्तराधिकार के कृषि संकट की वजह से स्थानीय धार्मिक उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिषद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर जफर शाह था जिसे शासन काल दिल्ली शहर तक सीमित ही रह गया था अंग्रेजों ने उसे भी कैद में रखा था और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यांमार निर्वाचित कर दिया गया
1556 में महान अकबर जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ जिसने 1556 में पद ग्रहण के साथ इस साम्राज्य को शुरू किया और सम्राट और औरंगजेब के निधन के साथ समाप्त हुआ हालांकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला उसे समय के दौरान अनेकों क्षेत्र को जोड़ने के एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था मुगलों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक उनके ज्यादातर दृश्य विरासत इसी अवधि के हैं 21 अप्रैल 1526 में बाबर ने दिल्ली के सुल्तानों में आखिरी सुल्तान इब्राहिम शाह लेडी को पानीपत के पहले युद्ध में हराया था और अपने नए राज्य की स्थापना को सुरक्षित करने के लिए बाबर को खानवा के युद्ध में राजपूत शक्ति का सामना करना पड़ा था जो की चित्तौड़ के राणा सांगा के नेतृत्व में आता था तुर्क की शुरुआती सैया सफलताओं को उनकी एकता गतिशीलता घुड़सवार धनु धारी और टॉप खाने के इस्तेमाल में विशेषता के लिए ठहराया गया था
1530 में बाबर का बेटा हुमायूं उत्तराधिकार बना लेकिन वास्तुन शेरशाह सूरी के हाथों पर मुख उलट फेर रहे और नए साम्राज्य के ज्यादातर भाग को क्षेत्रीय राज्य से आगे बढ़ने से पहले ही प्रभावी रूप से हार गए थे हुमायूं ने एक मिश्रित सी को बटोरा उसके साथ दिल्ली लौटे और 1555 में युद्ध करके दिल्ली को पुनः जीतने में कामयाब रहे हुमायूं ने अपनी पत्नी के साथ मकरान के खुरदुरे इलाकों को पार किया परंतु यात्रा की कठिनाई से बचने के लिए अपने शिशु बेटे जलालुद्दीन को पीछे छोड़ दिए जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर को वर्षों बाद अकबर के नाम से जाना गया वे सिंह के शहर अमरकोट में पैदा हुए जहां उनके चाचा स्क्री ने उन्हें पाल पोस और वहां के मैदानी खेल घुड़सवार और शिकार करने में निपुण बने और युद्ध की कल भी सीखी तब हुमायूं ने दिल्ली के आसपास के बीच पत्थर पर कब्जा किया लेकिन महीना बाद एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई जिससे वह राज्य के स्थिर और युद्ध में हार गए
14 फरवरी 1556 को दिल्ली के सिंहासन के लिए सिकंदर शाह सूरी के खिलाफ एक युद्ध के दौरान अकबर अपने पिता के उत्तराधिकारी बने उन्होंने अपने जीवन काल के 21 और 22 साल की उम्र में ही अपनी 18वीं जीत को हासिल किया और वह अकबर के नाम से जाने गए वह एक बुद्धिमान बहुत ही निष्पक्ष शासन करते थे पर कड़ाई से निर्धारित भी करते थे उन्होंने कृषि उपज के लिए 1/5 काकर किसानों और निवासियों पर लागू किया उन्होंने राजपूतों के साथ गठबंधन किया और हिंदू जनरल और प्रशंसकों को नियुक्त किया था मुगल साम्राज्य के सम्राट अकबर के बेटे जहांगीर ने 1605 1627 के बीच ( 22 वर्ष) साम्राज्य पर शासन किया शाहजहां ने आगरा में प्रसिद्ध की ताजमहल( 1630- 1653) बनाना शुरू किया जो फारसी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी द्वारा सजा की पत्नी मुमताज महल के लिए कब्र के रूप में बनवाया गया था जिनका निधन अपने 14वे बच्चों को जन्म देते हुए हो गया था औरंगजेब आलमगीर के नेतृत्व में उत्तर पूर्वी राज्यों के अलावा पंजाब की सीख भूमि मराठाओं की भूमि दक्षिण क्षेत्र और अफगानिस्तान के आधे से ज्यादा क्षेत्र में उनकी जागीर थे औरंगजेब महान तुर्क राजाओं में आखिरी थे
औरंगजेब के शासनकाल के बाद साम्राज्य में भारी गिरावट हुई बहादुर शाह जफर के साथ शुरुआत से मुगल सम्राटों की सत्ता में उत्तरोत्तर गिरावट आई और वह कल्पित सरदार बने जो शुरू में अनेकों विधियों दरबारी द्वारा और बाद में कहीं बढ़ाते सरदारों द्वारा नियंत्रित थे मुगल राजधानी दिल्ली में नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली जैसे हमलावरों की लूट को सह जिन्होंने बार-बार मुगल राजधानी में लूटपाट की भारत में इस साम्राज्य के क्षेत्र के आगे भाग को ब्रिटिश से मिलने से पहले मराठाओं को हरा दिया था ब्रिटिश सरकार ने पहले ही कमजोर मुगलों को भारत के सम्राट के बजाय दिल्ली का राजा कहना शुरू कर दिया था जो 1803 में औपचारिक रूप से प्रयोग किया गया था जिससे भारतीय नरेश की ब्रिटिश सम्राट के आगे बढ़ाने की आशाए निहिताथृ से परहेज किया गया फिर भी कुछ दशकों के बाद BEIC ने सम्राट के नाम मात्र नौकरों के रूप में और उनके नाम पर अपने नियंत्रण के अधीन क्षेत्र में शासन जारी रखा 1827 में यह भी खत्म हो गया था सिपाही विद्रोह के कुछ विद्रोहियों ने जब शाह आलम के वंशज बहादुर जफर साहब से अपनी निष्ठा की घोषणा की तो ब्रिटिश ने इस संस्था को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला कर लिया था उन्होंने 1857 में अंतिम मुगल सम्राट को पद से गिराया और उन्हें बर्मा के लिए निर्वासित किया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई थी इस प्रकार मुगल वंश का अंत हो गया जिसने भारत बांग्लादेश और पाकिस्तान के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय का योगदान किया था मुगल काल के दौरान मुसलमानों द्वारा ताजमहल सहित कई स्मारक बनाए गए थे मुस्लिम मुगल वंश ने भव्य महलो , कबरो ,मिनारो और किलो को निर्मित किया था और आज दिल्ली ,ढाका ,आगरा, जयपुर, लाहौर ,शेखपुरा ,भारत, पाकिस्तान। और बांग्लादेश के कई अन्य शहरों में खड़े हैं