जलवायु और मौसम

मौसम हमारे वातावरण की बदलती हुई वह स्थिति है जिसे हम वर्षा ऋतु तापमान जैसे नाम से जानते हैं जबकि जलवायु को हम किसी भी स्थान के दीर्घकाल के पैटर्न का औसत बनाते हैं जो आमतौर पर दर्शकों या शादियों में ही मापा जाता है यदि हम सरल शब्दों में कहें तो मौसम हमें बताता है कि आज क्या है और आज क्या होने वाला है और जलवायु हमें सालों में होने वाली उम्मीद के बारे में बताती है कि उसे साल या आने वाले सालों में क्या होने वाला है यदि हम उदाहरण के साथ बताएं तो अगर किसी शहर में बारिश होती है तो वह मौसम के बारे में बताती है लेकिन अगर वह शहर हर साल भारी बारिश के लिए जाना जाता है तो वह वहां की जलवायु बताती है दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में अलग-अलग जलवायु होती है दुनिया के कुछ हिस्से लगभग हर दिन गर्म और बरसात वाले होते हैं उनके पास एक उष्णकटिबंधीय अर्थ जलवायु है यह अन्य वर्ष के अधिकांश में ठंडा और बर्फ से ढके होते हैं उनके पास एक धुर्वे जलवायु भी है बर्फीले ध्रुव और भाव से भरे उसमें कटिबंधीय क्षेत्र के बीच कई अन्य जलवायु हैं जो पर्वत की जैव विविधता और भूवर्गीय के विरासत में योगदान करती है

जलवायु एक क्षेत्र की जलवायु प्रणाली द्वारा निर्धारित होती है एक जलवायु प्रणाली के पांच प्रमुख घटक होते हैं वायुमंडल जलमंडल करायोस्फीयर भूमि की सतह और जीव मंडल जल मंडल में परिवर्तन जिसमें तापमान और लवणता में परिवर्तन शामिल है वायुमंडल में होने वाले परिवर्तनों की तुलना में बहुत धीमी गति से होते हैं करयोस्फीयर जलवायु प्रणाली का एक समानता स्थिर भाग है जो की बर्फ की छड़ों और हिम्मत सूर्य के प्रकाश को प्रभावित करता है पौधों की प्रचुरता और भूमि कर के प्रकार जैसे मिट्टी रेट या डामर वशीकरण और परिवेश के तापमान को प्रभावित करते हैं पृथ्वी पर जीवित चीजों का कुल योग जीव मंडल जलवायु को गहराई से प्रभावित करता है जीवित जीव प्राकृतिक विकास और निर्मित संरचना हो जैसे की बिल बंद और तिल दोनों के माध्यम से परिदृश्य को बदलते हैं यह बदलते हुए परिदृश्य मौसम के पैटर्न जैसे हवा कटाव और यहां तक की तापमान को भी प्रभावित कर सकते हैं सैन फ्रांसिस्को की सर्दियां उसकी गर्मियों से ज्यादा ठंडी नहीं होती जबकि बीजिंग गर्मियों में गम और सर्दियों में ठंडा होता है यहां गर्मियां बरसाती और सर्दी है शुष्क होती हैं जलवायु विशेषताओं में हवा आद्रता बदल वायुमंडलीय दबाव और कोहरा भी शामिल है भू दृश्य क्षेत्रीय जलवायु को परिभाषित करने में भी मदद कर सकता है सभी जलवायु कहीं कारकों का उत्पादन है भारत के इस क्षेत्र में साल भर में सीधी धूप निकलती है और यह इंटर टॉपिकल कन्वर्जेंस जॉन नामक क्षेत्र में स्थित है जहां नाम व्यापारिक हवाएं मिलती हैं छोटे बदलाव जी ने सूक्ष्म जलवायु कहा जाता है हर जलवायु क्षेत्र में मौजूद होते हैं शुष्क में जलवायु बड़े पैमाने पर स्थलाकृतिक विशेषताओं जैसे जिलों वनस्पति और शहरों से प्रभावित होते हैं यह झील प्रभाव गर्म झील के पानी में बहने वाले ठंडी हवाओं का परिणाम है जलवायु वर्गीकरण 1948 में अमेरिकी जलवायु वैज्ञानिक चार्ल्स थानृथवेट ने एक जलवायु वर्गीकरण प्रणाली विकसित की जिसका उपयोग वैज्ञानिक आज भी करते हैं स्कैंडिनेविया के शंकु धारी वन और उत्तरी साइबेरिया का बेरियल स्थिति की तंत्र शामिल हो सकता है मेसोथर्मल क्षेत्र की जलवायु मध्य होती है वह सर्दियों की बर्फ की एक परत को बनाए रखने के लिए पर्याप्त ठंड नहीं होते हैं लेकिन पूरे वर्ष फूलों की पौधे का समर्थन करने के लिए पर्याप्त गम भी नहीं रहते हैं मेगा थर्मल जलवायु में अमेजन बेसिन दक्षिण पूर्व एशिया के कहीं द्वीप जैसे न्यू गिनी और फिलिपींस और अफ्रीका में कांगो बेसिन शामिल है वर्गीकृत करने का एक कुशल कठोर तरीका भी है यह जटिल है और इसका मानचित्रण करना मुश्किल है वैज्ञानिक प्रशासन के बाहर इस प्रणाली का शायद ही कभी उपयोग हुआ होगा जलवायु को वर्गीकृत करने की सबसे लोकप्रिय प्रणाली 1900 में रूसी जर्मन वैज्ञानिक वाला आदमी को पेन द्वारा पर स्थापित की गई थी कोपेन ने देखा कि किसी क्षेत्र में वनस्पति का प्रकार काफी हद तक जलवायु पर निर्भर करता है वनस्पति तापमान और वर्षा के आंकड़ों के आधार पर उन्होंने और अन्य वैज्ञानिकों ने जलवायु के क्षेत्र के नामकरण के लिए प्रणाली विकसित की है कोपेन जलवायु वर्गीकरण प्रणाली के अनुसार 5 जलवायु समूह है

समुद्र से निकटिया दूर स्थित क्षेत्र की जलवायु में महत्वपूर्ण अंतर होता है समुद्र से दूरी महासागरों के प्रभाव को निर्धारित करती है जो स्थान समुद्र के पास होते हैं उनमें तापमान मध्य रहता है जबकि दूर के स्थान पर अधिक तापमान पाया जाता है किसी स्थान की जलवायु मुख्य रूप से पृथ्वी पर उसकी स्थिति को प्रभावित करती है भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्र में अधिक सूर्य की किरणें प्राप्त होती है जिससे मन का तापमान अधिक हो जाता है ध्रुवीय क्षेत्रों में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है जिससे वह ठंडे होते हैं किसी स्थान की ऊंचाइयां भूभाग की ऊंचाई भी जलवायु को प्रभावित करती है ऊंचाई बढ़ाने के साथ-साथ तापमान कम हो जाता है जैसे कि हिमालय पर्वत की ऊंचाई का भारतीय जलवायु पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है पवन परिसंचरण वैश्विक तापमान और वर्षा के वितरण को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है उच्च दाब और निम्न दाब प्रणालियों हवा के पैटर्न वर्षा और मौसम प्रणाली के वितरण को प्रभावित करती है भारत में मानसून की हवाएं इसका एक प्रमुख उदाहरण होता है यह पहाड़ ठंडी उतरी हवाओं को रोक कर भारत की रक्षा करते हैं और मानसून की वर्षा बाहर हवा हवा को भी रोकते हैं जिससे वह उपमहाद्वीप में ही अपनी नामी वितरित करते रहे

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